एक दिन राजा ने दरबार खुले मैदान में आयोजन किया। सुबह के ताजे सूरज में लोग बैठे थे।
उस समय वहा पर दूसरे राज्य से एक आदमी आता हैं।
वह राजा को कहता है ,"मेरे पास दो चीजे हैं। उनमें एक असली और एक नकली है। मैं अबतक बहुत सारे राज्य में घूम आया लेकिन किसी ने भी असली चीज़ नहीं पहचानी।
अगर वह असली चीज आप के राज्य में किसी ने पहचानी तो वह में आप के खजाने में जमा करूंगा।
लेकिन अगर किसी ने वह असली चीज नहीं पहचानी तो उसके मूल्य का धन आप मुझे देंगे।
आज तक यह चुनौती कोई नहीं जीता है। "
दरबारके लोगो में उत्सुक होते है। अंत में राजा तैयार होता है। राजा के सामने वह आदमी अपने थैले से दो चीजे निकाल कर रख देता हैं। दोनों चीजे दिखने में एक जैसी होती हैं। एक ही रंग, एक ही आकार, एक ही प्रकाश !!
राजा का कहना है, "क्या यह मुश्किल है। वे दोनों जवाहरात हैं, दोनों भी हिरा हैं।"
वह आदमी कहता हैं ,"नहीं, राजन, एक एक असली हीरा है, और ग्लास का एक टुकड़ा है।"
अब सब लोग चकित हो जाते है। आगे आकर बहुत लोग निरीक्षण करते है कोई भी असली /नकली नहीं पहचान सकता था।
अंत में राजा भी प्रयत्न करता है। वोह भी हार जाता है। और राजा असली हिरे के मूल्य का धन उस आदमी को देने के लिए विवस हो जाता है।
उसी समय लोगो में से एक अंध मनुष्य कहता है ,"राजन ,हम तो हार गये है। तब मुझे एक अंतिम मौका देते हैं। लेकिन अगर आप जीता और खो दिया है माया का लाभ आप पैसे देने के लिए सहमत हो गया है "
राजा थोड़े देर सोचने के पश्च्यात उस अंध व्यक्ति को अनुमति दे देता हैं।
वह अंध व्यक्ति दूसरे आदमी के मदत से आगे आकर दोनों चीजो से हाथ घुमाकर एक ही क्षण में "असली नकली की पहचान करता है।
सभी चकित हैं। विशेष रूप से, वह भी चकित था। क्योंकि जो कार्य कोई भी नहीं कर पाया वोह अंध आदमी में ने कर दिखाया।
अंत में वह आदमी असली हिरा राजा को देता हैं और उस अंध आदमी से पूछ था हैं ,"तुमने यह कैसे किया ?"
अंध व्यक्ति बोला ,"यह आसान था। मैंने देखा कि उसके हाथ में एक ठंड से एक है, और दूसरा गर्म था! यह अच्छा था कि वह एक नकली हीरा था, और है कि गर्म था, क्योंकि गिलास गर्म ज्यादा था। एक हीरे के रूप में ज्यादा गर्म नहीं है। "
जो समय -समय पर गुस्सा हो जाते है वह काच समान होते है।
जो विपरीत परिस्थितीमें शांत रहते है वो हिरे के समान होते है।
उस समय वहा पर दूसरे राज्य से एक आदमी आता हैं।
वह राजा को कहता है ,"मेरे पास दो चीजे हैं। उनमें एक असली और एक नकली है। मैं अबतक बहुत सारे राज्य में घूम आया लेकिन किसी ने भी असली चीज़ नहीं पहचानी।
अगर वह असली चीज आप के राज्य में किसी ने पहचानी तो वह में आप के खजाने में जमा करूंगा।
लेकिन अगर किसी ने वह असली चीज नहीं पहचानी तो उसके मूल्य का धन आप मुझे देंगे।
आज तक यह चुनौती कोई नहीं जीता है। "
दरबारके लोगो में उत्सुक होते है। अंत में राजा तैयार होता है। राजा के सामने वह आदमी अपने थैले से दो चीजे निकाल कर रख देता हैं। दोनों चीजे दिखने में एक जैसी होती हैं। एक ही रंग, एक ही आकार, एक ही प्रकाश !!
राजा का कहना है, "क्या यह मुश्किल है। वे दोनों जवाहरात हैं, दोनों भी हिरा हैं।"
वह आदमी कहता हैं ,"नहीं, राजन, एक एक असली हीरा है, और ग्लास का एक टुकड़ा है।"
अब सब लोग चकित हो जाते है। आगे आकर बहुत लोग निरीक्षण करते है कोई भी असली /नकली नहीं पहचान सकता था।
अंत में राजा भी प्रयत्न करता है। वोह भी हार जाता है। और राजा असली हिरे के मूल्य का धन उस आदमी को देने के लिए विवस हो जाता है।
उसी समय लोगो में से एक अंध मनुष्य कहता है ,"राजन ,हम तो हार गये है। तब मुझे एक अंतिम मौका देते हैं। लेकिन अगर आप जीता और खो दिया है माया का लाभ आप पैसे देने के लिए सहमत हो गया है "
राजा थोड़े देर सोचने के पश्च्यात उस अंध व्यक्ति को अनुमति दे देता हैं।
वह अंध व्यक्ति दूसरे आदमी के मदत से आगे आकर दोनों चीजो से हाथ घुमाकर एक ही क्षण में "असली नकली की पहचान करता है।
सभी चकित हैं। विशेष रूप से, वह भी चकित था। क्योंकि जो कार्य कोई भी नहीं कर पाया वोह अंध आदमी में ने कर दिखाया।
अंत में वह आदमी असली हिरा राजा को देता हैं और उस अंध आदमी से पूछ था हैं ,"तुमने यह कैसे किया ?"
अंध व्यक्ति बोला ,"यह आसान था। मैंने देखा कि उसके हाथ में एक ठंड से एक है, और दूसरा गर्म था! यह अच्छा था कि वह एक नकली हीरा था, और है कि गर्म था, क्योंकि गिलास गर्म ज्यादा था। एक हीरे के रूप में ज्यादा गर्म नहीं है। "
जो समय -समय पर गुस्सा हो जाते है वह काच समान होते है।
जो विपरीत परिस्थितीमें शांत रहते है वो हिरे के समान होते है।

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