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Saturday, 2 December 2017

हर समस्या का उचित इलाज आत्मा की आवाज है - Solution of Every Problem :- Voice of the Soul

Voice of the  Soul

राजा ने एक सुंदर सा महल बनाया । और महल के मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र लिखवाया | 
और घोषणा की की इस सूत्र से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी सूत्र को हल कर के द्वार खोलेगा में उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा......

राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए किसी को कुछ समझ नहीं आया ........
आख़री तारीख आ चुकी | 

उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे 
उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की किताबो सहित आये | 

लेकिन एक व्यक्ति जो साधक की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया उसने कहा में बेठा हु यही पास में ध्यान कर रहा हु | 
अगर पहले ये दोनों महाशय कोशीस कर के 
द्वार खोल दे तो मुझे कोई परेशानी नहीं| 

पहले इन्हें मोका दिया जाए
दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए| 
लेकिन नहीं कर पाये और हार मान ली| 
अंत में उस साधक को ध्यान से जगाया गया और कहा की आप सूत्र हल करिये ऑप का समय शुरू हो चुका हे|

साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ द्वार की और चला द्वार को धकेला और यह क्या द्वार खुल गया|

राजा ने साधक से पूछा आप ने ऐसा क्या किया| 
साधक ने कहा जब में ध्यान में बेठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई की पहले चेक कर ले की सूत्र हे भी या नहीं | 
इसके बाद इसे हल करने की सोचना
और मेने वाही किया
ऐसे ही कई बार जिंदगी में समस्या होती ही नहीं 
और हम विचारो में उसे इतनी बड़ी बना लेते हे की वह समस्या कभी हल न होने वाली हे| 

लेकिन हर समस्या का उचित इलाज आत्मा की आवाज है।

Sunday, 5 November 2017

प्राथमिकता - Priority

प्राथमिकता
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।

उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?

वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये -- बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर को जा लगा। शेर मर गया और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।

हमारे जीवन में भी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब कुछ पल ऐसे आते है, जब हम शुन्य हो कर, सब कुछ नियती के हाथो में छोड देते हैं, जैसे उस हिरनी ने किया।
जो पहली प्राथमिकता वो करो। जैसे हिरनी ने शावक को जन्म दिया। 
अपने आप से पूछें ? आप कहां केन्द्रित हैं ?
आप का विश्वास और उम्मीद किस से है ? ईश्वर आप के साथ हैं और आपको निराश नहीं करेंगे।

Friday, 13 October 2017

मोक्ष का रहस्य (Secret of Moksha)

मोक्ष का रहस्य
एक महात्मा था, उनके एक शिष्य ने सवाल किया कि संसार में किस तरह के इन्सान को मुक्ति मिलती है ?
महात्मा अपने शिष्य को तेज बहाव की नदी पर लेकर गये और जाल डालकर मछलियों को पकडने के लिए कहा।

शिष्य ने नदी में जाल फेंका और कुछ मछलियाँ जाल में फंस गई।फिर महात्मा ने शिष्य से सवाल किया कि जाल मे अटकने के बाद मछलियों का व्यवहार कैसा है ?

शिष्य ने कहा कि कुछ मछलियाँ अपनी मस्ती में मस्त हैं , कुछ मछलियाँ छटपटा रही है और कुछ मछलियाँ आजाद होने के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं , लेकिन आजाद नहीं हो पा रही है।

सभी मछलियां एक जैसी ही दिखाई दे रही है लेकिन तीन प्रकार का मछलियां का रवैया देखा।

महात्मा ने मुस्कराते हुए कहा तुम्हें तीन प्रकार की मछलियां दिखाई दिया लेकिन चार प्रकार की मछलियां है।
शिष्य ने कहा वो चौथे प्रकार मछली किस तरह और उसका रवैया क्या है ?

महात्मा ने कहा कि जो मछलियां अपनी मस्ती में मस्त हैं वो वह इन्सान जो इस संसार में खा-पीकर मस्त है।
दुसरा वो मछलियां जो छटपटा रही यह वो लोग हैं जो कभी-कभी सतसंग जाते हैं और ज्ञान की बातें करते हैं लेकिन अमल नहीं करते।

तीसरे प्रकार की मछलियां उस प्रकार के लोग हैं जो नित नेम सतंसग जाते है और भजन सिमरन भी करते हैं लेकिन मन में बदले में कुछ सांसारिक कामना रखते हैं और जिसके अंदर सांसारिक कामना हो वो ना मुक्त हो सकते और ना ही ईश्वर के प्रति प्रेम

शिष्य ने कहा चौथे प्रकार की मछलियां और लोग किस तरह है ?
महात्मा ने कहा कुछ मछलियां इस जाल में फंसती नहीं है वो सच्चे भक्त हैं , संसार महासागर है उसके अंदर मायाजाल है जो निस्वार्थ परमात्मा का भजन सिमरन करते वो इस मायाजाल में नहीं फंसते है।

Tuesday, 29 August 2017

लक्ष्य के लिये धैर्य जरुरी (To Achieve Goal We Need Patience)

एक बार गुरु को अपना उत्तराधिकारी चुनना था। इसीकेलिये गुरु को अपने अनेक शिष्यों में से किसी एक को चुनना था। उन्होंने परीक्षा  करनी थी। 

गुरु ने अपने सभी शिष्योंको बुलाकर दिवार बनाने कहा। सभी शिष्य काम पर लगे । जल्द ही उन्होंने एक दिवार बनाई। गुरुने उस दिवार को तोड़ कर फिर से बनाने को कहा। 
Patience

दिवार बनानी और उसे तोडना ऐसा बहुत बार हो गया। धीरे -धीरे  सभी शिष्य परेशान हो गये और दिवार बनाना छोड़ दिये। 

लेकिन चित्रभानु नामक शिष्य काम करने लगा। गुरु उसके पास आकर बोले "तुम्हारे सारे मित्र काम छोड़ कर चले गए" लेकिन तुम अब भी काम कर रहे हो। 

चित्रभानु हात जोड़कर बोला"मैं गुरु कीआज्ञा कैसे भंग करु?जब तक 
आप रोकोगे नहीं तब तक मै काम करते रहूंगा। 

गुरु  बहुत आनंदित हो गये। अपने खोज पूर्ण हो गयी ऐसे उन्हें लगा। 

उसे अपना उत्तराधिकारी चुन लिया। 
शिष्योंसे बोले"संसारमें बहुत लोग बड़ी बड़ी इच्छा रखते हैं।और 
उच्चतमपद पाने की इच्छा रखते हैं। 


लेकिन उसे पाने की पात्रता प्राप्त करने की प्रयत्न नहीं करते।या थोड़ा फार 
प्रयत्न करके हार मानते हैं। 
कोई भी लक्ष्य पाने के लिये इच्छा के साथ धैर्य जरुरी हैं। 


Wednesday, 13 January 2016

समस्या (Problem)

इस  दुनिया में मनुष्य कितना  भी खुद  को सुरक्षित  समजे  उसको  जीवन में  बहुत समस्या आती हैं। 

अपना दोष  नहीं होते  हुये हमे  समस्या भोगतनी पड़ती हैं। समस्या नहीं आये गी  ऐसा कोई  नहीं कह सकता। 

प्रत्येक मनुष्य जीवन में  अनेक  प्रकार के  समस्यासे परेशान  रहते  हैं। 

समस्या



समस्या के प्रकार अनेक  हैं। 

  1. वास्तविक  समस्या  :
  2. सुचना देने वाली समस्या:जीवन में  दुःख  आते हैं वह हमारे  कर्मो का फल होता हैं। हम इन समस्या  से कुछ सीख सकते हैं। हमारे पहले किसी ने दुःख की पीड़ा सही होगी।  तो हम उनसे कुछ सीख सकते हैं। 
  3. परीक्षा  लेनेवाली समस्या:जीवन में हमेशा हमारी बुद्धिमत्ता की परीक्षा के लिये  कुछ समस्या  होती हैं। समस्या  आने तक उसे कुछ पता नहीं होता हैं।
    उदा :आग,मृत्यु
     
  4. लघु  समस्या:मनुष्य जीवन में आयी छोटीसी  समस्या  से डर  जाता हैं। लघु समस्या  से जल्द छुट्कारा मिलता हैं। 
  5. खुद उत्पन्न कियी समस्या (आ बैल  मुझे मार):मनुष्य की समस्या  बहुत सारी  समस्या  उसने खुद निर्माण कियी  होती हैं। नैसर्गिक समस्या  टाले नहीं जा सकते ,इसके लिए दुःख करना योग्य नहीं हैं।
    उदा:बीमारी ,अपघात
  6. अपनी गलती की  वजह से दंड रूप समस्या 
  7. सुखद परिणाम वाली समस्या 
समस्या  में डर  ने से मनुष्य की  समस्या  दुगनी होती हैं।  जीवन में समस्या ,दुःख तो आना ही हैं।  वह थोड़े समय के लिये होती हैं।  जीवन समस्या  से भरा होता है।  नैसर्गिक समस्या अल्प समय के लिये होती हैं। इसीलिये मनुष्य को कोई भी समस्या  आने पर निराश न होते उनका सामना करना  बहुत  जरुरी होता हैं। 

समस्या  नहीं  ऐसा  मनुष्य   नहीं।  उपाय  नहीं ऐसी समस्या नहीं।
 

Monday, 31 August 2015

अच्छा गाँव -बुरा गाँव

गुरुनानक अपने शिष्यों के साथ तीर्थयात्रा कर रहे थे। दिनभर चलना और रात को किसी भी गाँव में जाकर कथा-कीर्तन करना और उसी गाँवके कोई भी मंदिर या धर्मशाला में रात को आराम करना। यह उनका दिनक्रम होता था। 
 
अच्छा गाँव -बुरा गाँव



एक दिन गुरुनानक एक गाँवमें पूरा दिन व्यस्त थे। गाँवमें वोह जहा भी जाते लोग उनका बड़े प्यार से स्वागत करते थे। बैठने के लिए आसन और पीने के लिये ठंडा पानी,केसरी दूध,फलोंका आहार होता था। लोग बहुत ही नम्र और बहुत सेवाभावी थे। कोई व्यक्ति कपड़ों का दान दे रहे थे। तो कोई दक्षिणा दे रहा था। ग्रामवासी को इतना आदर सत्कार गुरुनानक और शिष्यों प्रभावित हो गये। लेकिन उस गाँव से निकल ते वक़्त गुरुनानकजी ने प्रार्थना कियी की "भगवान  करे और यह गाँव नष्ट हो जाये"। शिष्य आश्चर्यचकित हो गये। 

दूसरे गाँवमें उन्हें उलटा अनुभव आ गया। ग्रामवासी अहंकारी और बेअदब थे। लेकिन उस गाँव से निकल ते वक़्त गुरुनानकजी ने प्रार्थना कियी की "भगवान  करे और यह गाँव सुरक्षित रहे"। अब शिष्य बहुत परेशान हो गये। और एक शिष्य ने पूछा "गुरुदेव,ऐसा क्यों ?'

 गुरुनानक बोले,"बेटा,उसमे नसमज ने जैसा क्या हैं। बुरेआदमी से भरा हुआ यह गाँव इधर ही सुरक्षित रहा तो दुनिया का कल्याण ही होगा। क्योंकि इधर के लोग और इनकी बुराई गाँवके बाहर नहीं जायेगी। लेकिन अच्छे लोगो का अच्छा गाँव नष्ट होने से अच्छे लोग गाँवके बाहर जाकर उनकी अच्छाई चारो दिशा में फैल जाएंगी। 

वह लोग अपने अच्छे बर्ताव का पुरे दुनिया में फैलाव/प्रसार करेंगे।

Friday, 31 July 2015

उत्तम जीवन संगीत

एक बार भगवान गौतम बुद्ध के पास राजकुमार श्रोण आया और बोला "भगवान,मुझे आपका शिष्य बनालो"। सच पूछिये तो यह श्रोण दिन रात भोगविलास में डूबा हुआ था।अच्छा  भोजन,अच्छी पोशाखे ,सोने और चांदी के आभूषण, ऐशोआराम की जिंदगी जी रहा था। 
 
उत्तम जीवन संगीत




लेकिन एक दिन वह यह सब ऐशोआरामसे ऊब गया। इसीलिये वह भगवान बुद्ध को शरण आया।बुद्धने श्रोणको अनुग्रह दिया।अब उसकी साधना,तपस्चर्या की सुरवात हुयी। 
वह अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा कष्ट देने लगा। 

परिणामः कठोर साधना से वह बीमार हो गया। वह अशक्त,दुर्बल और कुरूप हो गया।यही हैं क्या वह सुन्दर राजकुमार श्रोण? ऐसा प्रश्न चिह्न
गौतम बुद्ध को पड़ा। 
एक दिन बुद्ध ने श्रोणसे कहा ,मैंने ऐसा सुना हैं की यहाँ आने के पहले वीना वादन करते थे। हा। मेरा वीना वादन बहुत दूरदूर तक जाना जाता था। भगवान श्रोण बोला।  
तो फिर मुझे बताओ," वीना के तार ढीले रहने से वीना बज सकती हैं क्या"?गौतम बुद्ध 
"बिलकुल नहीं," श्रोण
"अगर समजो, वीना के तार तंग रहने से ? "गौतम बुद्ध ने पूछा
"वीना के तार टूट जायेंगे",श्रोण
"श्रोण, उत्तम  संगीत के लिए वीना के तार कैसे होने चाहिये ?"गौतम बुद्ध ने पूछा.  
"मध्यम(सामान्य), ना ज्यादा तंग ना ज्यादा ढीले,मध्यम तंग "श्रोण ने जवाब दिया। 
गौतम बुद्ध बोले "शब्बास श्रोण। जैसी वीना वैसा  ही जीवन का हैं। 
सच्चा चतुर (बुध्दिमान ) वह जो ना भोग का अतिरेक करता हैं और न तो साधना ,तपस्चर्या  का अन्त पकड़ था हैं।  
जो कोई भी सुवर्णमध्य बनाता हैं वोही उत्तम जीवनसंगीत का सफल व्यक्ति होता है। 

 

 

Saturday, 4 July 2015

आनंद का रहस्य - Secret of Happiness

एक बार एक धनवान व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आता हैं।वोह व्यक्ति अप्रसन्न था। उसे आनंद चाहिए था।उसकी भरी हुयी जेब के तरफ देखकर स्वामीजी बोले . जेब भरी हुयी हैं।क्या हैं उसमे ? 

आनंद  का  रहस्य


धनवान व्यक्तिने कहा नोटों की गड्डीस्वामीजीने कहा आनंद तुम्हारे पास हैं और उसे तुम्हे ढूंढ़ना हैं।उस धनवान व्यक्तिने अक्षमता दिखाई। स्वामीजी धोड़े देर निष्प्रभ रहे।और बोले रात होने वाली हैं।खाना खालो और आश्रम में विश्रांति कर लो में तुमसे कल सुबह बात करूंगा। 

धनवान व्यक्तिने वैसे ही किया। सुबह उठा और बेचैन गया।उसको नोटों की गड्डी कही पर नही दिखी।डर के साथ स्वामीजी के पास आ गया। स्वामीजी बोले आश्रम में से नोटों की गड्डी चोरी होना असंभव हैं।सोते वक्त तुमने कहा पर रखी थी? जाओ और फिर से ढूंढो।खोया हूँआ ढूंढना ही पड़ेगा। 

धनवान व्यक्तिने फिर से ढूंढने लगा बिना कोई विकल्प के। ढूँढ़ते ढूँढ़ते व्यक्ति परेशान हो गया।रोने वाला था की यकायक वो आनंदी हो गया की उसे अपनी नोटों की गड्डी मिल गयी। और भागकर स्वामीजी के पास गया। 

स्वामीजी बोले किसकी वजह से आनंदी हो गये ?नोटों की गड्डी की वजह से। वोह तो कल भी जेब में थी। 
लेकिन आज वोह गुम गयी थी मैंने उसे ढूंढा।गुमी हुयी वह मिल गयी थी।धनवान व्यक्ति आनंदी हो कर बोला 

लेकिन आनंद क्षण में गुम हो जायेगा। नोटों की गड्डी फिर से जेबमें से चली जायेगी।और आनंद खत्म हो जायेगा।  

स्थाई रूप से गुम हुयी वस्तु ढूंढ लोगे तो कितना खुश(आनंदी) होगे।
हम लोग ही अपना आनंद गुमा देते हैं।उसे ढूंढना हमे सीखना हैं।ऐसे कहकर स्वामीजी ने अनजाने में आनंदी जीवन का रहस्य बता दिया

Saturday, 20 June 2015

सच्चा सुगंध - सच्ची खुसबू -

एक  बार स्वामी विवेकानंद के पास उनका एक शिष्य  आया। वह भगवान  के लिए दोष दे रहा था। वो कहने लगा स्वामीजी भगवान  ने हम यह देह देकर उसमे राग (गुस्सा) ,लोभ ,मद ,मत्सर ऐसे विविध दुर्गुण भरे हुए  हैं। मनुष्य के लिये जन्मः  शत्रु  दिए है।  इसलिये हमे  सुख  नहीं हैं।  यह भगवान ने अच्छा  नहीं किया हैं। 
 
सच्चा सुगंध - सच्ची  खुसबू




स्वामीजी ने शिष्य  को  कहा  मेरे साथ चलो। दोनों भी एक  बगीचे में गए।  फूल  और पेड़ देख कर यहाँ  वहा घूमने लगे। शिष्य ने गुलाब और फूलोँ के पोधे देखे। बगीचे में सुगंध फैला हूँआ  था।  शिष्य आनंदी था।  उसी  समय माली आकर पोंधो को खाद डालने लगा।  खाद कि बदबू शिष्यको  दुखी कर  गयी। इसलिए  उसने  माली  और  स्वामीजी को  अपनी  नापसंती  बताई।  स्वामीजी ने कुछ नहीं कहा।  माली ने  वह खाद  हर एक  पोंधो के जड़ में भरकर  आगे जाने लगा। इसी  समय  स्वामीजी ने  माली  को कहा  यह  क्या  कर रहे हो।  गंदा खाद पोंधो के जड़ में क्यों  भर  रहे हो।  


माली  ने कहा गंदा खाद ही पोंधोको  फूल  लाते हैं और उनका रंग हमे आनंदी करता  हैं। बगीचे के पोंधो खाद के वजह से लहरा  रहे हैं।   स्वामीजीने  कहा कमाल हो गया इन पोंधो का बदबूको  सुगंधी बना  थे हैं। 
अगर  यह पोधे  बदबूको  सुगंधी बना सकते हैं  तो मनुष्य अपने दुर्गुणों को  सदगुणो में  परावर्तित क्यों नहीं कर  सकता।  

स्वामीजीने   उदाहरण से  दिया हुया विचार शिष्य को जीने के लिए नया ध्येय देकर  गया।