Friday, 13 October 2017

द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए(Think Positive)

द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए
गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।

*एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।

गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।
परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो। बस दुख सुख में बदल जायेगा.।

*"सुख दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं।*

*"अंधे को मंदिर आया देखलोग हँसकर बोले -"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,पर क्या भगवान को देख पाओगे ?*

*"अंधे ने कहा -"क्या फर्क पड़ता है,मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा."*

*द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।*

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