Wednesday, 6 January 2016

अच्छा देखो ; अच्छाही दिखेगा (होगा)

हम  लोग  बीते साल को  अपमान ,झगड़ा ,बीमारी ,रिश्ते में  खटास  से याद रखते हैं।  ऐसा क्यों होता हैं?
मुझे  एक मैनेजमेंट  गुरु की कहानी याद आयी।  उसने अपने एक व्याख्यान में एक सफ़ेद पेपर(कागद) पर  शाई का एक दाग लगाकर लोगो को पुछा "आप लोगो इस  पेपर (कागद) पर  क्या दिख रहा हैं ?

बहुत लोगो ने कहा "शाई का दाग."

उसने  पूछा   और  कुछ दिख रहा हैं?

 उसके  इस  प्रश्न  को बहुत  मजेदार  जवाब मिले।  जैसे की  शाई के कितने  दाग हैं। 
और दाग के आकार  बताये।  और किसीने  कहा की शाई  के दो  दाग में कितना अंतर  हैं। 
उस गुरु  ने  सब  को बधाई  दी " कहा , आप लोगो की दृष्टी  अच्छी हैं।  सब लोग  बहुत खुश  हो गये। 

फिर उसने  कहा " आप  लोगो  को  सफ़ेद  रंग  नहीं दिख  रहा ?"

एक ने जवाब  दिया "सर , आपने  पूछा की  इस  कागद पर क्या दिखा रहा हैं?" दूसरा क्या दिखेगा  शाई के दाग के  अलावा ?

 गुरु  ने  कहा " बराबर  हैं। " मैंने  कागद पर क्या दिख  रहा हैं  पूछा था। 
लेकिन आप को  सफ़ेद रंग  नहीं दिखा  क्या ?

 गुरु  ने  कहा " आप  लोगो  को दिखा  हुआ शाई के दाग लगा हुआ भाग  बहुत  ही छोटा  हैं।  कागद के  ऊपर  सफ़ेद रंग  का  भाग  बहुत ही बड़ा  हैं। 
 वह  हमे  नहीं  दिख रहा  हैं।  यह  ठीक  नहीं।

जीवन  का भी ऐसा  ही होता है ,हम लोग हमेशा बुरे घटनों के  बारे में सोचते हैं।  हमारे जीवन बहुत  अच्छी घटना  होती  हैं।  हम उनके बारे में  नहीं  सोच थे। 

जीवन में बुरे घटनों को काल  अच्छी घटनों से बहुत कम  होता हैं। सिर्फ बुरे घटना  के बारे में  मत  ध्यान  दो।  अच्छी  यादे  घटना  ढूढ़ने  ने की  कोशिश  करो। 

हमे यह करना है की हमारे जीवन में अच्छी घटनोंकी सूचि बना लो। 
फिर हमे समज आयेगा की  हमारी सूचि कितनी बड़ी हैं।