Friday, 9 December 2016

कोशिश करते रहो (Try and Try)

एक युवा किसान पहाड़ के ऊपरबसे भगवान के दर्शन हेतु चला जाता हैं। 
मंदिर का रास्ता लंबा नहीं था। लेकिन खेती के काम के कारण किसान को फुरसत ही नहीं मिलती। 
दिन भर का काम ख़त्म होते ही उसने रोटी लिये और अपने के दोस्त से लालटेन मांग कर निकल पड़ा पहाड़ पर। 

रात में ही गाँव की सीमा पार की। अमावास की रात के कारण पूरा अँधेरा था। 

कोशिश करते  रहो
किसान पहाड़ी के निचे आकर बैठ गया। हात्त में लालटेन थी लेकिन उसकी रोशनी सिर्फ दस कदम ही थी। किसान ने सोचा रात भर यही बैठ कर सुबह होते ही निकल पड़े अपनी यात्रा के लिये। 

उसी समय किसी की आने की आहट सुनाई दीकिसान पट से उठकर खड़ा रहा और अँधेरे में देख ने लगा। 

तभी उसने देखा की एक बूढा व्यक्ति उसकी तरफ आ रहा थाबूढा व्यक्ति के हाथ में लालटेन थी। 

युवा किसान बोला,सुबह होने की राह देख रहा हूँ। होते ही मैं पहाड़ी के मंदिर दर्शन के लिये चला जाऊँगा। 

बूढा व्यक्ति ने कहा,जब तूने पहाड़ चढ़ ने ठान ली है तो सुबह की राह क्यों देख रहे हो। लालटेन तो आप के पास हैं तो पहाड़ी के निचे क्यों बैठे हो ?

किसान बोला,अँधेरा तो बहुत हैं,लालटेन से सिर्फ दस कदम का आगे का दिख सकता हैं। 
बूढा व्यक्तिने  हँसकर कहा,तुम पहले दस कदम तो आगे बढावो,जितना दिखेगा उतना आगे बढ़ो।जैसे जैसे तुम चलोगे वैसे तुम्हे आगे का दिखने लगेगा। 

बूढा व्यक्ति की बात युवा किसान को समझ आयी। युवा किसान उठकर चलने लगा और सुबह के पहले मंदिर में पहुँच गया। 

जो रुक गया वह समाप्त हो गया। जो चलता रहता हैं वह मंज़िल पा लेता हैं।चलने वाले को आगे का रास्ता दिख जाता हैं। 
हर एक व्यक्ति के पास दस कदम चलने लायक ज्ञान और प्रकाश होता हैं। 

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