मंदिर के सामने श्रोतों की बहुत भीड़ जमा हुयी थी। क्योँकि भगवान गौतम बुद्ध खुद प्रवचन देने वाले थे।
गौतम बुद्ध वहा आये और उन्हें देखने के लिये भगदड़ मच्छी। उन्होंने समुदाय को थोड़ी देर देख कर निकल गये बिना प्रवचन किये ।
दूसरा दिन आया, प्रवचन का समय हुआ । आज कल से भीड़ कम थी। लेकिन गौतम बुद्ध आते ही कल के जैसी ही भगदड़ मच्छी। गौतम बुद्ध आज भी बिना प्रवचन किये निकल गये। लोक अचंबित हो गये ।
तिसरे दिन पुरे पचास भी श्रोते नहीं थे । आज गड़बड़ कम थी। लेकिन गौतम बुद्ध आते ही लोग अपना संयम खो गये। गौतम बुद्ध आज भी बिना प्रवचन किये निकल गये।
पाँचवे दिन चमत्कार हो गया। सिर्फ चौदा श्रोते बच गये थे।शांतिसे बुद्ध की राह देख ने वाले और गड़बड़ न करनेवाले। गौतम बुद्ध आ गये और प्रसन्न मन से प्रवचन दे दिया। डेढ़ घंटा कैसे खत्म हुआ पता भी नहीं चला। गौतम बुद्ध लौटने के लिये निकल पड़े।
तब श्रोता बोला ," भगवन चार दिनोसे में आ रहा हूँ। आप एक भी शब्द नहीं बोले ।बहुत भीड़ जमा हुयी थी"।
गौतम बुद्ध बोले ,'मुझे वही नहीं चाहिये था। मुझे भीड़ नहीं चाहिये। मनोरंजन के लिये और मुझे देखने के लिये आने वाले नहीं चाहिये। मेरी जयजयकार करनेवाले तो मुझे बिलकुल नहीं चाहिये। मुझे सच्चे अनुयायी चाहिये ,काम करनेवाले।
आज जो लोग थे वही लोग टिक जायेंगे मेरे अभियान में। इसीलिये मैंने प्रवचन दिया । क्योंकि उन्ही को इस प्रवचन की जरुरत थी।
गौतम बुद्ध वहा आये और उन्हें देखने के लिये भगदड़ मच्छी। उन्होंने समुदाय को थोड़ी देर देख कर निकल गये बिना प्रवचन किये ।
दूसरा दिन आया, प्रवचन का समय हुआ । आज कल से भीड़ कम थी। लेकिन गौतम बुद्ध आते ही कल के जैसी ही भगदड़ मच्छी। गौतम बुद्ध आज भी बिना प्रवचन किये निकल गये। लोक अचंबित हो गये ।
तिसरे दिन पुरे पचास भी श्रोते नहीं थे । आज गड़बड़ कम थी। लेकिन गौतम बुद्ध आते ही लोग अपना संयम खो गये। गौतम बुद्ध आज भी बिना प्रवचन किये निकल गये।
पाँचवे दिन चमत्कार हो गया। सिर्फ चौदा श्रोते बच गये थे।शांतिसे बुद्ध की राह देख ने वाले और गड़बड़ न करनेवाले। गौतम बुद्ध आ गये और प्रसन्न मन से प्रवचन दे दिया। डेढ़ घंटा कैसे खत्म हुआ पता भी नहीं चला। गौतम बुद्ध लौटने के लिये निकल पड़े।
तब श्रोता बोला ," भगवन चार दिनोसे में आ रहा हूँ। आप एक भी शब्द नहीं बोले ।बहुत भीड़ जमा हुयी थी"।
गौतम बुद्ध बोले ,'मुझे वही नहीं चाहिये था। मुझे भीड़ नहीं चाहिये। मनोरंजन के लिये और मुझे देखने के लिये आने वाले नहीं चाहिये। मेरी जयजयकार करनेवाले तो मुझे बिलकुल नहीं चाहिये। मुझे सच्चे अनुयायी चाहिये ,काम करनेवाले।
आज जो लोग थे वही लोग टिक जायेंगे मेरे अभियान में। इसीलिये मैंने प्रवचन दिया । क्योंकि उन्ही को इस प्रवचन की जरुरत थी।
