एक बार एक धनवान व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आता हैं।वोह व्यक्ति अप्रसन्न था। उसे आनंद चाहिए था।उसकी भरी हुयी जेब के तरफ देखकर स्वामीजी बोले . जेब भरी हुयी हैं।क्या हैं उसमे ?
धनवान व्यक्तिने कहा नोटों की गड्डी। स्वामीजीने कहा आनंद तुम्हारे पास हैं और उसे तुम्हे ढूंढ़ना हैं।उस धनवान व्यक्तिने अक्षमता दिखाई। स्वामीजी धोड़े देर निष्प्रभ रहे।और बोले रात होने वाली हैं।खाना खालो और आश्रम में विश्रांति कर लो में तुमसे कल सुबह बात करूंगा।
धनवान व्यक्तिने वैसे ही किया। सुबह उठा और बेचैन गया।उसको नोटों की गड्डी कही पर नही दिखी।डर के साथ स्वामीजी के पास आ गया। स्वामीजी बोले आश्रम में से नोटों की गड्डी चोरी होना असंभव हैं।सोते वक्त तुमने कहा पर रखी थी? जाओ और फिर से ढूंढो।खोया हूँआ ढूंढना ही पड़ेगा।
धनवान व्यक्तिने फिर से ढूंढने लगा बिना कोई विकल्प के। ढूँढ़ते ढूँढ़ते व्यक्ति परेशान हो गया।रोने वाला था की यकायक वो आनंदी हो गया की उसे अपनी नोटों की गड्डी मिल गयी। और भागकर स्वामीजी के पास गया।
स्वामीजी बोले किसकी वजह से आनंदी हो गये ?नोटों की गड्डी की वजह से। वोह तो कल भी जेब में थी।
लेकिन आज वोह गुम गयी थी मैंने उसे ढूंढा।गुमी हुयी वह मिल गयी थी।धनवान व्यक्ति आनंदी हो कर बोला।
लेकिन आनंद क्षण में गुम हो जायेगा। नोटों की गड्डी फिर से जेबमें से चली जायेगी।और आनंद खत्म हो जायेगा।
स्थाई रूप से गुम हुयी वस्तु ढूंढ लोगे तो कितना खुश(आनंदी) होगे।
हम लोग ही अपना आनंद गुमा देते हैं।उसे ढूंढना हमे सीखना हैं।ऐसे कहकर स्वामीजी ने अनजाने में आनंदी जीवन का रहस्य बता दिया।
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| आनंद का रहस्य |
धनवान व्यक्तिने कहा नोटों की गड्डी। स्वामीजीने कहा आनंद तुम्हारे पास हैं और उसे तुम्हे ढूंढ़ना हैं।उस धनवान व्यक्तिने अक्षमता दिखाई। स्वामीजी धोड़े देर निष्प्रभ रहे।और बोले रात होने वाली हैं।खाना खालो और आश्रम में विश्रांति कर लो में तुमसे कल सुबह बात करूंगा।
धनवान व्यक्तिने वैसे ही किया। सुबह उठा और बेचैन गया।उसको नोटों की गड्डी कही पर नही दिखी।डर के साथ स्वामीजी के पास आ गया। स्वामीजी बोले आश्रम में से नोटों की गड्डी चोरी होना असंभव हैं।सोते वक्त तुमने कहा पर रखी थी? जाओ और फिर से ढूंढो।खोया हूँआ ढूंढना ही पड़ेगा।
धनवान व्यक्तिने फिर से ढूंढने लगा बिना कोई विकल्प के। ढूँढ़ते ढूँढ़ते व्यक्ति परेशान हो गया।रोने वाला था की यकायक वो आनंदी हो गया की उसे अपनी नोटों की गड्डी मिल गयी। और भागकर स्वामीजी के पास गया।
स्वामीजी बोले किसकी वजह से आनंदी हो गये ?नोटों की गड्डी की वजह से। वोह तो कल भी जेब में थी।
लेकिन आज वोह गुम गयी थी मैंने उसे ढूंढा।गुमी हुयी वह मिल गयी थी।धनवान व्यक्ति आनंदी हो कर बोला।
लेकिन आनंद क्षण में गुम हो जायेगा। नोटों की गड्डी फिर से जेबमें से चली जायेगी।और आनंद खत्म हो जायेगा।
स्थाई रूप से गुम हुयी वस्तु ढूंढ लोगे तो कितना खुश(आनंदी) होगे।
हम लोग ही अपना आनंद गुमा देते हैं।उसे ढूंढना हमे सीखना हैं।ऐसे कहकर स्वामीजी ने अनजाने में आनंदी जीवन का रहस्य बता दिया।
