एक बार भगवान गौतम बुद्ध के पास राजकुमार श्रोण आया और बोला "भगवान,मुझे आपका शिष्य बनालो"। सच पूछिये तो यह श्रोण दिन रात भोगविलास में डूबा हुआ था।अच्छा भोजन,अच्छी पोशाखे ,सोने और चांदी के आभूषण, ऐशोआराम की जिंदगी जी रहा था।
लेकिन एक दिन वह यह सब ऐशोआरामसे ऊब गया। इसीलिये वह भगवान बुद्ध को शरण आया।बुद्धने श्रोणको अनुग्रह दिया।अब उसकी साधना,तपस्चर्या की सुरवात हुयी।
वह अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा कष्ट देने लगा।
परिणामः कठोर साधना से वह बीमार हो गया। वह अशक्त,दुर्बल और कुरूप हो गया।यही हैं क्या वह सुन्दर राजकुमार श्रोण? ऐसा प्रश्न चिह्न
गौतम बुद्ध को पड़ा।
एक दिन बुद्ध ने श्रोणसे कहा ,मैंने ऐसा सुना हैं की यहाँ आने के पहले वीना वादन करते थे। हा। मेरा वीना वादन बहुत दूरदूर तक जाना जाता था। भगवान श्रोण बोला।
तो फिर मुझे बताओ," वीना के तार ढीले रहने से वीना बज सकती हैं क्या"?गौतम बुद्ध
"बिलकुल नहीं," श्रोण .
"अगर समजो, वीना के तार तंग रहने से ? "गौतम बुद्ध ने पूछा.
"वीना के तार टूट जायेंगे",श्रोण.
"श्रोण, उत्तम संगीत के लिए वीना के तार कैसे होने चाहिये ?"गौतम बुद्ध ने पूछा.
"मध्यम(सामान्य), ना ज्यादा तंग ना ज्यादा ढीले,मध्यम तंग "श्रोण ने जवाब दिया।
गौतम बुद्ध बोले "शब्बास श्रोण। जैसी वीना वैसा ही जीवन का हैं।
सच्चा चतुर (बुध्दिमान ) वह जो ना भोग का अतिरेक करता हैं और न तो साधना ,तपस्चर्या का अन्त पकड़ था हैं।
जो कोई भी सुवर्णमध्य बनाता हैं वोही उत्तम जीवनसंगीत का सफल व्यक्ति होता है।
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| उत्तम जीवन संगीत |
लेकिन एक दिन वह यह सब ऐशोआरामसे ऊब गया। इसीलिये वह भगवान बुद्ध को शरण आया।बुद्धने श्रोणको अनुग्रह दिया।अब उसकी साधना,तपस्चर्या की सुरवात हुयी।
वह अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा कष्ट देने लगा।
परिणामः कठोर साधना से वह बीमार हो गया। वह अशक्त,दुर्बल और कुरूप हो गया।यही हैं क्या वह सुन्दर राजकुमार श्रोण? ऐसा प्रश्न चिह्न
गौतम बुद्ध को पड़ा।
एक दिन बुद्ध ने श्रोणसे कहा ,मैंने ऐसा सुना हैं की यहाँ आने के पहले वीना वादन करते थे। हा। मेरा वीना वादन बहुत दूरदूर तक जाना जाता था। भगवान श्रोण बोला।
तो फिर मुझे बताओ," वीना के तार ढीले रहने से वीना बज सकती हैं क्या"?गौतम बुद्ध
"बिलकुल नहीं," श्रोण .
"अगर समजो, वीना के तार तंग रहने से ? "गौतम बुद्ध ने पूछा.
"वीना के तार टूट जायेंगे",श्रोण.
"श्रोण, उत्तम संगीत के लिए वीना के तार कैसे होने चाहिये ?"गौतम बुद्ध ने पूछा.
"मध्यम(सामान्य), ना ज्यादा तंग ना ज्यादा ढीले,मध्यम तंग "श्रोण ने जवाब दिया।
गौतम बुद्ध बोले "शब्बास श्रोण। जैसी वीना वैसा ही जीवन का हैं।
सच्चा चतुर (बुध्दिमान ) वह जो ना भोग का अतिरेक करता हैं और न तो साधना ,तपस्चर्या का अन्त पकड़ था हैं।
जो कोई भी सुवर्णमध्य बनाता हैं वोही उत्तम जीवनसंगीत का सफल व्यक्ति होता है।
