Wednesday, 5 August 2015

अंध:अनुकरण -Blind Following

गंगा नदी का विशाल पात्र  भविको से भरा हुआ था। हर व्यक्ति गंगा  स्नान के लिये आतुर था। 

अंध:अनुकरण


ऐसी समय  एक भक्त वहा आ गया।  गंगा  स्नान का पुण्य लेने के लिए उसने कपडे निकाले।  लेकिन कपडे  ओर मौल्यवान चीजे   कहा रखे यह सोच कर वह परेशान था।  बहुत देर सोच ने के बाद उसे एक कल्पना आयी। 


उसने  उसी  गंगा पात्र में  खुदाई सुरु कियी और एक बड़ा गिड्डा खोद  दिया। और  उस गिड्डे में  सारे कपडे और  मौल्यवान चीजे रखी। 
गिड्डा पहचान ने के लिए उसने वह पर एक शिवलिंग  बना लिया और वह
गंगा  स्नानके लिए चला गया। 

उसी  समय  वहा पर और एक  भक्त आया। उसकी नजर  उस शिवलिंग के पर पड़ी।  और  उसे लगा की आज शिव जी का विशेष माहात्मय हैं।  और उसने उसी समय उस शिवलिंग के बगल में और एक शिवलिंग बना लिया।  उसको  नमस्कार  वह नहाने चला गया। 

देखते  देखते हर एक आने वाला भक्त ,उधर शिवलिंग बनाना प्रारंभ किया।  आधे-एक घंटे  में पूरा गंगा  पात्र शिवलिंग से भर गया। 

इधर वोह पहले वाला  भक्त स्नान करके आ गया।  वोह आश्चर्यचकित हो   गया। पूरा  गंगा पात्र पुरे शिवलिंग से भर गया था।  यहाँ -वहां शिवलिंग,सब जगह शिवलिंग। वोह परेशान हो गया की उसने बनाया हुआ
शिवलिंग कैसे ढूंढने का  और अपने कपडे और मौल्यवान चीजे कैसी  मिलेगी। बिचारा वह परेशान होकर निचे  बैठ गया।

श्रद्धा से किया हुआ अंध:अनुकरण  गलत ही होता हैं। मनुष्य हरवक्त सश्रद्धा रहना उचित हैं।