Monday, 31 August 2015

अच्छा गाँव -बुरा गाँव

गुरुनानक अपने शिष्यों के साथ तीर्थयात्रा कर रहे थे। दिनभर चलना और रात को किसी भी गाँव में जाकर कथा-कीर्तन करना और उसी गाँवके कोई भी मंदिर या धर्मशाला में रात को आराम करना। यह उनका दिनक्रम होता था। 
 
अच्छा गाँव -बुरा गाँव



एक दिन गुरुनानक एक गाँवमें पूरा दिन व्यस्त थे। गाँवमें वोह जहा भी जाते लोग उनका बड़े प्यार से स्वागत करते थे। बैठने के लिए आसन और पीने के लिये ठंडा पानी,केसरी दूध,फलोंका आहार होता था। लोग बहुत ही नम्र और बहुत सेवाभावी थे। कोई व्यक्ति कपड़ों का दान दे रहे थे। तो कोई दक्षिणा दे रहा था। ग्रामवासी को इतना आदर सत्कार गुरुनानक और शिष्यों प्रभावित हो गये। लेकिन उस गाँव से निकल ते वक़्त गुरुनानकजी ने प्रार्थना कियी की "भगवान  करे और यह गाँव नष्ट हो जाये"। शिष्य आश्चर्यचकित हो गये। 

दूसरे गाँवमें उन्हें उलटा अनुभव आ गया। ग्रामवासी अहंकारी और बेअदब थे। लेकिन उस गाँव से निकल ते वक़्त गुरुनानकजी ने प्रार्थना कियी की "भगवान  करे और यह गाँव सुरक्षित रहे"। अब शिष्य बहुत परेशान हो गये। और एक शिष्य ने पूछा "गुरुदेव,ऐसा क्यों ?'

 गुरुनानक बोले,"बेटा,उसमे नसमज ने जैसा क्या हैं। बुरेआदमी से भरा हुआ यह गाँव इधर ही सुरक्षित रहा तो दुनिया का कल्याण ही होगा। क्योंकि इधर के लोग और इनकी बुराई गाँवके बाहर नहीं जायेगी। लेकिन अच्छे लोगो का अच्छा गाँव नष्ट होने से अच्छे लोग गाँवके बाहर जाकर उनकी अच्छाई चारो दिशा में फैल जाएंगी। 

वह लोग अपने अच्छे बर्ताव का पुरे दुनिया में फैलाव/प्रसार करेंगे।