Monday, 19 October 2015

कर्म का फल

एक दिन राजा ने अपने तीन मंत्रियों  बुलाया और तीनो को आदेश दिया।  एक एक थैला ले कर बगीचे में जाए और वहा से  अच्छे अच्छे फल जमा करे। और वह तीनो अलग -अलग  बाग़ में चले गये। 

पहले मंत्री ने कोशिश की ,की राजा के लिये उसके पसंद के अच्छे-अच्छे और मजेदार फल जमा किये। उसने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताजा फलों से थैला भर दिया। 





दूसरे मंत्री ने सोचा राजा की राजा हर फल का निरीक्षण तो नहीं करेगा, इसलिये  उसने जल्दी जल्दी थैला भरने में ताजा ,कच्चे ,गले सड़े फल भी थैले में भर दिये।

तीसरे मंत्री ने सोचा राजा की नजर तो  सिर्फ भरे हुये थैले की तरफ होगी खोल कर देखेगा भी नहीं की इसमें क्या हैं ,उसने समय बचाने के लिये 
जल्दी जल्दी इसमें घास ,और पत्ते भर दिये और वक़्त बचाया। 

दूसरे दिन राजा ने तीनो मंत्रियो को उनके थैलो समेत दरबार में बुलाया और उनके थैले खोलकर भी नहीं देखे।  और आदेश दिया कि ,तीनो को उनके थैलो समेत दूर स्थान के एक जेल में तीन महीने कैद किया जाए। 

अब जेल में उनके पास खाने पीने  को कुछ भी नहीं था सिवाय उन थैलो के, जिस मंत्री ने अच्छे-अच्छे फल जमा किये वोह तो मजेसे खाता रहा और  महीने गुजर भी गये। 


फिर दूसरा मंत्री जिसने ताजा ,कच्चे गले सड़े फल जमा किये थे।  वह कुछ दिन तो ताजा फल खाता रहा फिर उसे ख़राब फल खाने पड़े, जिसे  से वह बीमार हो  गया और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी। 

और तीसरा मंत्री जिसने थैले में सिर्फ घास और पत्ते जमा किये थे वो कुछ ही दिनों में भूख से मर गया। 

आप इस समय जीवन के बाग़ में हैं ,जहा चाहे तो अच्छे कर्म जमा करे..
चाहे तो बुरे कर्म,
लेकिन याद रहे जो आप जमा करेंगे वही आपको आखरी समय में काम आयेंगा क्योंकि दुनिया का राजा आपको चारो ओर से देख रहा हैं।


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