Sunday, 10 July 2016

सफलता का रहस्य (Secret of Success)

एक बार मेंढ़कों(Frog) को लगा की हम भी दौड़ लगाते है, हमारे पास ऐसी क्या कमी है जो हम ऊँचे टॉवर पर चढ़ नहीं सकते। हमेशा क्या इस तालाब में रहने का, ऊंचाई से दुनिया देखे। 

सभी मेंढक निश्चय करते हैं की दौड़ शुरू करते है। मनुष्य और प्राणिओ को यह बात समजती है तो वोह हस पड़ते है और उन्हें चिढ़ाते है। सभी  लोग कहते है तालाब छोड़ के मत जाओ। गिर जाओगे और मर जाओगे।आप से नहीं होगा। 

सफलता का  रहस्य

 सभी मेंढक बिना सुने चलना शुरू करते है। मेंढक छलांग लगाकर आगे चले जाते है।लोग पीछे से चिल्लाते है "नहीं  होगा,गिर जाओंगे "

एक एक मेंढक निचे गिरने लगते हैं,रोने लगते हैं और हार जाते हैं।
एक मेंढक गिरने के पसच्यात वह झट से टावर उपर चढ़ जाता हैं। उपरसे वह दॄश्य देख कर। वोह खुश हो जाता हैं,लोग तालिया बजाते हैं। सभी लोग अचरज मैं होते है की यह कैसे हो गया। 

वोह मेंढक निचे उतर जाता है, और सभी लोग उसे पूछे थे हैं, "यह आप से कैसे हो गया ?" इतने  विरोध और चिढ़ाने के बाद  भी आप उपर कैसे चढ़े ?

तो भी वोह मेंढक कुछ नहीं बोलता है। उसी समय एक बूढ़ा मेंढक कहता है "वोह जन्म से कर्णबधिर है,उसे कुछ भी सुनाई नहीं देता "
सभी लोग चुप हो जाते है। 

तब वोह बूढ़ा मेंढक कहता हैं,"टॉवर चढ़ने इच्छा ही काफी नहीं है,लोग हमे चिड़ाते,नाउम्मीद करते हैं। उस समय आगे बढ़ने की शक्ति चाहिये। 
दूसरों का सुनते रहोगे तो तालाब  नहीं  छोड़ पाओंगे और टॉवर नहीं चढ़ पाओंगे। 

कोई भी चीज़ साध्य करने लिये शक्ति होना जरुरी नहीं उसके साथ धीरज भी होना जरुरी होता हैं।