Monday, 1 August 2016

संबंध का आनंद (Happy Relationship)

यह डॉ. एपीजे अब्दुल कलम इनके बचपन की याद हैं। 
प्रत्येक माता के जैसे उनकी माता सब के लिए खाना बनाती थी। दिन भर काम करने के पश्च्यात माता बहुत थक जाती थी। 


एक रात्री समय माता ने खाना बनाया और पिताजी को खाना परोस दिया। 
 उनके थाली में एक सब्जी और एक तरफ से पूर्णतः जली हुई रोटी थी।

उस जली हुई रोटी के लिये कोई कुछ बात करने के लिये में राह देख रहा था। 
पिताजी ने अपना भोजन चुपचाप समाप्त किया और मुझे अपने स्कूल के दिनभर की बाते पूछी। 

अंततः मैंने उन्हें जली हुई रोटी के लिये पूछा। माताजी ने उनसे उस रोटी के लिये क्षमा मांगी थी। पिताजी ने जो कहा वो कलाम कभी नहीं भूले। 
उनके पिताजी ने माताजी से कहा,"अरे,कुछ नहीं मुझे जली हुई रोटी अच्छी लगती हैं। "

रात को सोने के पूर्व मैंने पिताजी से पूछा "सच में आप को जली हुई रोटी अच्छी लगती है ?"

उस समय मेरे पिताजी ने मुझे नजदीक लेकर समजाया,"तेरी माता दिनभर के काम से बहुत थक जाती है। जली हुई रोटी से मुझे कोई तकलीफ नहीं होने वाली "
लेकिन अगर मैंने  उन्हें बुरा भला कहता तो उनको बहुत दुःख होता। 

उन्होंने कहा बेटा,"जीवन बहुत ही अपूर्ण चीजो से भरा हुआ है।और मैं भी पूर्ण नहीं हूँ। 

प्रत्येक संबंध संभाल ने लिये हमे एक दूसरे के दोष स्वीकार करना होगा। और संबंध का आनंद लेना होगा।