एक बार किसीने संत कबीर(Saint Kabeer) को सुखी संसार का रहस्य पूछा। कबीर ने दिन के उजाले में अपने बीवी से लालटेन मांगी।
उनकी बीवी ने बिना कुछ बोले लालटेन लाकर उन्हें दी। कुछ समय बाद उनकी बीवी ने उन दोनों को दूध लाकर दिया।
कबीर ने वह दूध पीने के बाद बोले,"वाह !! मीठा हैं दूध। "
वोह मनुष्य आश्चर्य होकर बोला ,"कबीरजी आप ने दिन के उजाले में लालटेन मांगी। और अब तो दूध में नमक होने पर भी आप बोल रहे हो की मीठा दूध हैं"
तब कबीर बोले यही तो सुखी संसार का रहस्य हैं।
मैंने दिन में लालटेन मांगी ,मेरी बीवी ने कुछ नहीं पूछे थे ,लालटेन लाकर दी।
उसके पश्च्यात दूध में अनजाने में शक्कर के बाजए नमक गिर गया। मैंने उसमे कोई दोष नहीं मानकर "मीठा कहा " ।
इसका मतलब मैंने उस समझ लिया हैं और उसने मुझे समझ लिया हैं।
यही तो सुखी संसार का रहस्य हैं
उनकी बीवी ने बिना कुछ बोले लालटेन लाकर उन्हें दी। कुछ समय बाद उनकी बीवी ने उन दोनों को दूध लाकर दिया।
कबीर ने वह दूध पीने के बाद बोले,"वाह !! मीठा हैं दूध। "
वोह मनुष्य आश्चर्य होकर बोला ,"कबीरजी आप ने दिन के उजाले में लालटेन मांगी। और अब तो दूध में नमक होने पर भी आप बोल रहे हो की मीठा दूध हैं"
तब कबीर बोले यही तो सुखी संसार का रहस्य हैं।
मैंने दिन में लालटेन मांगी ,मेरी बीवी ने कुछ नहीं पूछे थे ,लालटेन लाकर दी।
उसके पश्च्यात दूध में अनजाने में शक्कर के बाजए नमक गिर गया। मैंने उसमे कोई दोष नहीं मानकर "मीठा कहा " ।
इसका मतलब मैंने उस समझ लिया हैं और उसने मुझे समझ लिया हैं।
यही तो सुखी संसार का रहस्य हैं
